जानिए कार्डियो vs स्ट्रेंथ ट्रेनिंग: आपके लिए क्या बेहतर है - Cardio vs. Strength Training: What’s Best for You In Hindi

जानिए कार्डियो vs स्ट्रेंथ ट्रेनिंग: आपके लिए क्या बेहतर है - Cardio vs. Strength Training: What’s Best for You In Hindi

जब फिटनेस और एक्सरसाइज की बात आती है तो दो तरह के एक्सरसाइज फॉर्म्स या टाइप्स हमेशा सुनने को मिलते हैं, और वो हैं - कार्डिओ और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (cardio and strength training)। इसमें कोई शक नहीं है कि फिट रहने के लिए शरीर को कोई न कोई फिजिकल एक्टिविटी, योग या एक्सरसाइज को अपने रूटीन में जरूर शामिल करना चाहिए। अब जब बात एक्सरसाइज की आए तो लोगों के मन में कई बार यह सवाल उठता है कि कार्डिओ और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, में से कौन सा बेहतर है, दोनों में से कौन से टाइप का एक्सरसाइज करना चाहिए। कई लोग सोचते हैं कि क्या कार्डिओ और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग दोनों ही किया जा सकता है? 

ऐसे में इन्हीं सवालों के जवाब हम इस खास आर्टिकल में लेकर आए हैं। यहां हम कार्डियो vs स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के फायदे, उससे जुड़ी ध्यान रखने वाली बातें और कुछ महत्वपूर्ण पॉइंट्स से जुड़ी जानकारी देंगे। तो इस खास आर्टिकल को पूरा जरूर पढ़ें। 

जानिए कार्डिओ क्या है - What is Cardio In Hindi

सबसे पहले कार्डिओ और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग दोनों ही तरह के एक्सरसाइज के बारे में जानकारी रखना जरूरी है। तो पहले हम यहां बता रहे हैं कि कार्डिओ एक्सरसाइज क्या होता है और इसमें कौन-कौन से एक्सरसाइज या वर्कआउट शामिल हैं। 

तो बता दें कि कार्डिओ जिसे कार्डिओवैस्कुलर एक्सरसाइज (cardiovascular exercise) भी कहा जाता है। इस एक्सरसाइज के दौरान व्यक्ति के दिल की धड़कन तेज हो जाती है और शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह यानी फ्लो बढ़ जाता है। दरअसल, इसमें सांस लेने की स्पीड बढ़ जाती है और इस वर्कआउट से ह्रदय यानी हार्ट और फेफड़े यानी लंग्स को मजबूती मिलती है। 

कार्डिओ एक्सरसाइज में शामिल हैं:

  • दौड़ना या तेज चलना
  • साइक्लिंग
  • स्विमिंग
  • डांस
  • रस्सी कूदना

कार्डिओ एक्सरसाइज के फायदे - Benefits Of Cardio In Hindi

आर्टिकल के इस खास भाग में हम कार्डिओ एक्सरसाइज के कुछ फायदों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। दरअसल, नियमित कार्डिओ एक्सरसाइज करने से शरीर को कई फायदे मिल सकते हैं। ये लाभ क्या-क्या हैं, आइए जानते हैं:

वजन कम करने के लिए:

अगर वजन घटाने का गोल बनाया है तो शायद कार्डिओ कैलोरी बर्न करने के लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। कार्डिओ में आने वाले एक्सरसाइजेस फैट और कैलोरी बर्न करने में मदद करता है। कार्डिओ के साथ सबसे अच्छी बात यह है कि इसमें जरूरी नहीं है कि आप जिम जाकर ही एक्सरसाइज करो। आप अपने गार्डन में, सोसाइटी के कैंपस में या सुबह-शाम रोड पर जॉगिंग या दौड़ सकते हैं। आप हर रोज का एक वक्त तय कर लें और हर रोज वही वक्त कार्डिओ के लिए निकलें। हालांकि, ध्यान रखें कि आप अपनी सुविधानुसार तीव्र या हल्का कार्डिओ करें। 

हृदय स्वास्थ्य में बदलाव:

आज के वक्त में कई तरह की बीमारियां काफी कॉमन हो चुकी हैं। ह्रदय रोग भी उन्हीं में से एक है। बदलते लाइफस्टाइल, जंक फूड या गलत डाइट और खराब रूटीन के कारण हार्ट हेल्थ की समस्याएं काफी बढ़ गई है। ऐसे में ह्रदय को स्वस्थ रखने के लिए कार्डिओ करना एक अच्छा ऑप्शन हो सकता है। नियमित तौर पर कार्डिओ करने से ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रह सकता है, ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और हृदय की मांसपेशियों को मजबूती मिलती है। इतना ही नहीं, कार्डिओ से मधुमेह यानी डायबिटीज, हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम भी कम हो सकता है।

कोलेस्ट्रॉल कम करे

जब भी हम 'कोलेस्ट्रॉल' की बात करते हैं तो हमेशा अच्छे कोलेस्ट्रॉल (high-density lipoprotein - HDL) or good cholesterol) और हानिकारक कोलेस्ट्रॉल (low-density lipoprotein - LDL) or bad cholesterol) की बात सामने आती है। वहीं, हानिकारक कोलेस्ट्रॉल ह्रदय रोग का जोखिम काफी हद तक बढ़ा देता है। ऐसे में इससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा भी बढ़ जाता है। ऐसे में कार्डिओ एक्सरसाइज जैसे - दौड़ना, चलना या जॉगिंग करने से हानिकारक कोलेस्ट्रॉल काफी हद तक कम हो सकता है और ह्रदय रोग का रिस्क भी कम हो सकता है। 

फेफड़ों के लिए लाभकारी:

कार्डिओ एक्सरसाइज सिर्फ दिल को ही नहीं, बल्कि फेफड़ों को भी स्वस्थ रखने का काम करता है। दरअसल, इस तरह के वर्कआउट करने से फेफड़ों की काम करने की क्षमता बढ़ने लगती है, व्यक्ति के सांस लेने में सुधार हो सकता है। नियमित कार्डिओ एक्सरसाइज करने से अस्थमा और अन्य फेफड़ों की बीमारियों का जोखिम कम हो सकता है। 

मूड बेहतर होता है:

सिर्फ दिल और फेफड़ों के लिए ही नहीं, बल्कि कार्डिओ मूड को भी बेहतर बनाने में मदद करता है। दरअसल, कार्डियो वर्कआउट के दौरान, शरीर एंडोर्फिन रिलीज करता है, जो मूड को बेहतर बनाने वाले हॉर्मोन्स हैं। इसलिए किसी दौड़ या साइकिल चलाने के बाद उत्साह और एनर्जी की अलग ही भावना मन में पैदा होती है। इसलिए, कार्डियो सिर्फ शारीरिक व्यायाम या फिजिकल एक्टिविटी ही नहीं है, बल्कि यह एक मानसिक व्यायाम यानी मेन्टल एक्सरसाइज भी है।

किन लोगों को कार्डिओ एक्सरसाइज करना चाहिए:

  • जो लोग वजन कम करना चाहते हैं
  • उच्च रक्तचाप (high blood pressure ya high bp) या कोलेस्ट्रॉल से परेशान लोग
  • डायबिटीज या प्री-डायबिटीज वाले व्यक्ति
  • बैठे-बैठे रहने वाले लोग (sedentary lifestyle), शरीर को एक्टिव रखने के लिए जरूरी
  • खिलाड़ी और फिटनेस प्रेमी
  • तनाव या डिप्रेशन की परेशानी से जूझ रहे लोग
  • जिन्हें नींद की समस्या है
  • हल्का कार्डिओ बुजुर्ग लोग भी कर सकते हैं, अगर उन्हें किसी तरह की जॉइंट पेन की शिकायत न हो 

किन लोगों को कार्डिओ एक्सरसाइज नहीं करना चाहिए:

  • अगर किसी को ह्रदय रोग है तो बिना डॉक्टर की सलाह के कार्डिओ न करें
  • जो लोग हाल ही में सर्जरी या गंभीर चोट से उबर रहे हैं
  • जिन्हें जोड़ों का दर्द या आर्थराइटिस है, बेहतर है पहले डॉक्टर से इस बारे में पूछें
  • गंभीर अस्थमा या सांस की बीमारी वाले लोग
  • गर्भवती महिलाएं, बिना डॉक्टर की सलाह के कार्डिओ न करें।
  • क्रॉनिक थकान या एडे्रनल फेटिग से जूझ रहे लोग
  • चक्कर, वर्टिगो या बैलेंस की समस्या वाले लोग
  • बुखार या बीमार महसूस कर रहे लोग
  • इसके अलावा, अगर कोई खास दवा ले रहे हैं तो बेहतर है कार्डिओ को डेली रूटीन में शामिल करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें। 

जानिए स्ट्रेंथ ट्रेनिंग क्या है - What Is Strength Training In Hindi

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (strength training), जिसे रेसिस्टेंस ट्रेनिंग भी कहते हैं, मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए की जाती है। इसमें वजन उठाना या शरीर के वजन का इस्तेमाल होता है। आसानी से समझें तो यह आपके मसल्स को सामान्य से ज्यादा मुश्किल काम कराती है, जिससे ताकत, शेप, पावर और सहनशक्ति बढ़ने लगती है।

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग में शामिल हैं:

  • वजन उठाना (डम्बल, बारबेल आदि)
  • बॉडीवेट एक्सरसाइज जैसे स्क्वैट्स, पुश-अप्स
  • रेसिस्टेंस बैंड का उपयोग
  • जिम मशीनों का इस्तेमाल

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के फायदे - Benefits Of Strength Training In Hindi

आर्टिकल के इस खास भाग में हम स्ट्रेंथ ट्रेनिंग के कुछ फायदों के बारे में जानकारी दे रहे हैं। दरअसल, नियमित स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करने से शरीर को कई फायदे मिल सकते हैं। ये फायदे क्या-क्या हैं, आइए जानते हैं:

1. मसल्स बनाने में मदद कर सकता है:

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग हर उस व्यक्ति के लिए जरूरी है जो मसल मास बढ़ाना चाहते हैं। मांसपेशियां आपके आराम करने वाले चयापचय दर यानी मेटाबॉलिक रेट को बढ़ाती हैं, जिससे आपको वजन कंट्रोल करने में सहायता मिलती है। तो यह मसल्स को बनाता है और टोन भी करता है। 

2. मेटाबॉलिज्म बढ़ाता है 

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से मेटाबोलिज्म बेहतर हो सकता है। यहां तक कि जब आप आराम करते हैं तो उस वक्त भी आपका शरीर ज्यादा कैलोरी बर्न करता है और आपको फैट लॉस करने में मदद कर सकता है। वहीं, शोध यानी स्टडी या रीसर्च में भी यह बात सामने आयी है कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग वर्कआउट के बाद व्यक्ति की चयापचय दर यानी मेटाबॉलिक रेट बढ़ जाती है। इसका मतलब है कि आप अपने वर्कआउट के घंटों और यहां तक कि दिनों बाद भी एक्स्ट्रा कैलोरी बर्न कर रहे होते हैं (Source)।

3. हड्डियों और जोड़ों के लिए 

जीवन में आगे चलकर फ्रैक्चर या ऑस्टियोपोरोसिस होने के जोखिम को कम करने के लिए वजन उठाना जरूरी है, क्योंकि इससे हड्डियाँ ज्यादा डेन्स हो जाएँगी। महिलाओं में उम्र के साथ-साथ बोन डेंसिटी कम होने का जोखिम ज्यादा होता है। ऐसे में उन्हें इस पर ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। ऐसे में उन्हें अपने रूटीन में हल्के-फुल्के स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को शामिल करना चाहिए क्योंकि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग हड्डियों और जोड़ों को मजबूत बनाता है। 

4. शरीर के बैलेंस के लिए 

जब हड्डियां और मसल्स मजबूत और स्वस्थ रहेंगे तो पूरे शरीर का बैलेंस भी सही रहेगा। ऐसे में बढ़ती उम्र के साथ गिरने या बैलेंस बिगड़ने के जोखिम को कम करने के लिए और पूरे शरीर को सही संतुलन में रखने के लिए अपने रूटीन में स्ट्रेंथ ट्रेनिंग को शामिल करना बहुत जरूरी है। 

5. फिट रहने के लिए 

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग ओवर ऑल व्यक्ति को फिट रखने का भी काम करता है। जैसे कि हमने ऊपर बताया कि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से फैट बर्न करने में मदद मिलती है, वजन कंट्रोल में रहता है, मसल्स हेल्दी और बढ़ते हैं और जोड़ों व हड्डियों से जुड़ी समस्या का जोखिम भी कम होता है। वहीं, इन्हीं सबसे बचाव और हेल्दी मसल्स होने के कारण स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से पूरी तरह से फिट रहने में मदद मिल सकती है। यह आपके डेली के काम को आसानी से करने में मदद करता है और आपकी लाइफस्टाइल को बेहतर करके लाइफ की क्वालिटी को सुधारता है। 

किन लोगों को स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करना चाहिए:

  • जो मसल्स बनाना चाहते हैं
  • जो फैट या वजन कम करना चाहते हैं
  • अगर आप पोस्चर सुधारना चाहते हैं
  • जिन्हें हड्डियों को मजबूत करना है
  • एथलीट्स और फिटनेस लवर्स
  • डायबिटीज या इंसुलिन रेसिस्टेंस वाले लोग
  • जो आत्मविश्वास और मानसिक तनाव को कम करना चाहते हैं क्योंकि यह मूड को बेहतर बनाता है
  • बिजी लोग अगर कम समय में असरदार रिजल्ट चाहते हैं

किन लोगों को स्ट्रेंथ ट्रेनिंग नहीं करना चाहिए:

  • हाल ही में सर्जरी या चोट से उबर रहे लोग
  • अनियंत्रित हाई ब्लड प्रेशर या हार्ट की बीमारी हो अगर किसी को
  • जिन्हें हर्निया की समस्या है
  • अगर किसी को गंभीर आर्थराइटिस या जोड़ों में सूजन की परेशानी है
  • गर्भवती महिलाएं (बिना डॉक्टरी सलाह के स्ट्रेंथ ट्रेनिंग न करें)
  • फिटनेस की शुरुआत करने वाले लोग (बिना गाइडेंस के स्ट्रेंथ ट्रेनिंग न करें)
  • रीढ़ की हड्डी की समस्या या डिस्क से जुड़ी परेशानी वाले लोग
  • बुखार या किसी तरह की स्वास्थ्य समस्या होने से
  • ऐसे लोग जो बैलेंस या कोऑर्डिनेशन पर असर डालने वाली दवाएं ले रहे हों
  • स्ट्रोक या न्यूरोलॉजिकल समस्या से पीड़ित लोग

जानिए कार्डियो vs स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, आपके लिए क्या बेहतर है - Cardio vs. Strength Training: What’s Best for You In Hindi

अब सवाल यह उठता है कि आपको क्या करना चाहिए या एक स्वस्थ व्यक्ति के लिए क्या बेहतर है कार्डिओ या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग। तो यह पूरी तरह से आपके या व्यक्ति के गोल पर निर्भर करता है कि उनका फिटनेस गोल क्या है। सबसे अच्छा वर्कआउट वह है जो आपके लक्ष्यों, आपकी इच्छाओं और आपकी जीवनशैली के साथ बैठता है। स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और कार्डिओ दोनों ही अलग-अलग क्षेत्रों में अपने लाभ लाएंगे, लेकिन जब इन्हें एक फुल प्रोग्राम में एक साथ रखा जाता है, तो वे एक अलग तरह से आपके हेल्थ पर असर करते हैं, जो अंततः बेहतर हेल्थ और परफॉरमेंस की ओर ले जाता है। सबसे महत्वपूर्ण है अपने शरीर को सुनना और ऐसे वर्कआउट को शामिल करना जो आपको प्रेरित करते हैं। हमने टेबल के जरिए एक आसानी से समझने वाला सुझाव देने की कोशिश की है, उम्मीद है यह आपके लिए मददगार होगा।

गोल 

कार्डियो vs स्ट्रेंथ ट्रेनिंग (क्या बेहतर है)

अगर वजन कम करना है 

कार्डियो और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग दोनों ही 

अगर मसल ग्रोथ और स्ट्रेंथ बढ़ाना है 

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग

स्टैमिना या सहनशक्ति बेहतर करना है 

कार्डियो 

शरीर को टोन करना है 

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग और कार्डियो 

फिट और ऐक्टिव रहना है 

दोनों का ही बैलेन्स बनाना है 


निष्कर्ष:

स्ट्रेंथ ट्रेनिंग करना है या कार्डिओ इस बात पर निर्भर करता है कि आपके हेल्थ और शरीर के लिए कौन सा बेहतर है। सिर्फ किलोमीटर जॉगिंग करने या वजन उठाना एक्सरसाइज या फिटनेस ट्रेनिंग नहीं होता है, बल्कि इसकी तुलना में सच्ची फिटनेस के लिए एक्सरसाइज या वर्कआउट के बीच बैलेंस बनाना ज्यादा जरूरी है। कार्डियो पेशेंस को बढ़ाता है, जबकि स्ट्रेंथ ट्रेनिंग शरीर में लचीलापन बढ़ाता है। जब दोनों को साथ में किया जाए, तो वे एक शक्तिशाली तालमेल प्रदान करते हैं जो न केवल आपकी शारीरिक बनावट बल्कि आपके पूरे लाइफस्टाइल के लिए एक अच्छा ऑप्शन है। 

हर टाइप के वर्कआउट के अपने-अपने फायदे हैं, और जब इनको कंबाइन किया जाता है, तो वे आपके जीवन जीने और लाइफस्टाइल को रिजल्ट में बैलेंस और हेल्दी बनाते हैं। हालांकि, सिर्फ वर्कआउट ही नहीं, बल्कि सही डाइट, हेल्दी लाइफस्टाइल और जरूरत पड़ने पर सही सप्लीमेंट भी उतना ही जरूरी है ताकि आपको अपने वर्कआउट का सही रिजल्ट मिल सके। उम्मीद है आपको हमारे इस खास ब्लॉग में दिए गए कार्डिओ और स्ट्रेंथ ट्रेनिंग से जुड़ी जानकारी से काफी मदद मिली होगी, ऐसे ही अन्य आर्टिकल्स पढ़ने के लिए हमारी वेबसाइट विजिट करते रहें।